गाय भैंस पालने वालों के लिए बड़ी खबर, ₹25000 की सब्सिडी , जाने कैसे करें आवेदन
सरकार ने देसी गाय फेस पालने वालों के लिए एक योजना लागू की है। 2030 तक सरकार ने प्राकृतिक खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है और सरकार का मानना है कि प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय का महत्व बहुत ही ज्यादा है देसी गाय के गोबर में मौजूद तीन से पांच करोड़ जीवाणु मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करते हैं एक देसी गाय के गोबर से 30 एकड़ जमीन पर खेती की जा सकती है जबकि जैविक पद्धति में इतनी ही खेती के लिए 30 गायों की जरूरत होती है।
सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय पालने वालों के लिए सब्सिडी निर्धारित की है और उन्होंने इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों को देसी गाय खरीदने के लिए ₹25000 की सब्सिडी दे रही है इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन के लिए ₹5000 और गौशाला में पक्का फर्श बनाने के लिए ₹8000 की सहायता दी जा रही है किसानों को साइकिल हाल और ड्रम खरीदने पर भी सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग खेती में कैसे करें
प्राकृतिक खेती में जीवामृत और घन जीवामृत जैसे जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है इन उर्वरक को को गोबर गोमूत्र गुड दाल का बेसन और पेड़ों के नीचे की मिट्टी से तैयार किया जाता है यह उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और सूक्ष्म जीवों का सक्रिय करने में मदद करते हैं।
हम आपको बता दे की कीटनाशकों का प्राकृतिक इलाज रासायनिक कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक खेती में गोबर गोमूत्र तंबाकू लहसुन और मिर्च के पत्तों की कीटनाशक तैयार किए जाते हैं इन दावों का छिड़काव फसलों को किट और बीमारियों से बचने के लिए किया जाता है।
35000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती 2018 में प्राकृतिक खेती की तकनीकी हिमाचल प्रदेश मैं 628 हेक्टेयर क्षेत्र में शुरू की थी अब यह क्षेत्र बढ़ाकर 354 हेक्टेयर हो गया है किसान इस पद्धति को अपनाकर रासायनिक खेती से दूर जा रहे हैं।
प्राकृतिक खेती का एक और फायदा यह भी है की खेती में उगाई गई फैसले पौष्टिक और अच्छी होती है जिससे बीमारियां कम होती है।
हिमाचल प्रदेश के 2. 73 किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दी जा चुकी है इसमें से 1.93 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं यह बदलाव सरकार और किसानों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।
जहर मुक्त खेती के फायदे
हम आपको बता दे की प्राकृतिक खेती अपनाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है जल की खपत 70% तक कम होती है और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है इस पद्धति से किसान अपनी फसलों का अधिक सुरक्षित और पोषण युक्त बना सकते हैं।
हिमाचल में देसी गायों का संरक्षण और प्रोत्साहन
सरकार निर्देशी गायों के संरक्षणऔर उपयोगिता को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई है साहिवाल गिर रेड सिंधी और हिमाचल की लोकल नसों को प्राथमिकता दी जा रही है इससे न केवल प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा बल्कि देसी नस्लों का संरक्षण भी होगा।
सरकार की योजना में बदलाव की ओर सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 3584 पंचायत में जागरूकता अभियान चलाएं इससे परिणाम स्वरुप 1660 पंचायत से बढ़कर अब लगभग सभी पंचायत में किस प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं।